Saturday, June 5, 2010

संस्थान-छात्र फर्जी, छात्रवृत्ति असली

](30/05/2010)
प्लॉट नंबर सी-242, 243 सिंहभूमि, खातीपुरा पर एक सैकंडरी स्कूल है, जिस पर अबेकस एकेडमी का बोर्ड लगा है, जबकि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग (पुराना नाम समाज कल्याण विभाग) के रिकॉर्ड के मुताबिक यहां मेडिकल टेक्नालॉजी एंड नर्सिग एजूकेशन नाम का इंस्टीट्यूट होना चाहिए। यह वही इंस्टीट्यूट है, जिसने वर्ष 2007-08 में 18 अनुसूचित जनजाति (एसटी) छात्रों के नाम 8,39,610 रुपए तो 2008-2009 में 17 एसटी छात्रों के नाम पर 7,58,060 रुपए उठाए गए थे। मजे की बात यह है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग अधिकारियों ने इस कॉलेज का फिजीकल वेरीफिकेशन भी किया है।

फर्जी संस्थान और अनुसूचित जाति के फर्जी छात्रों के नाम पर लाखों रुपए की छात्रवृत्ति हड़पने की जानकारी मिलने पर डीबी स्टार टीम ने पखवाड़े भर तक मामले की तहकीकात की। टीम ने समाज कल्याण विभाग के रिकॉर्ड से कुछ संदिग्ध संस्थानों के नाम छांटकर उनका वेरीफिकेशन किया। हकीकत सामने आई कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से लाखों रुपए की छात्रवृत्ति की बंदरबांट हो रही है। अगर अब तक वितरित छात्रवृत्ति की जांच कराई जाए तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आएंगे और करोड़ों रुपए का घपला भी उजागर होगा।

फिलहाल डीबी स्टार की तहकीकात में जो तथ्य सामने आए हैं, उनके मुताबिक पिछले कई सालों से जिन नर्सिग, मेडिकल संस्थानों के छात्रों को सरकार छात्रवृत्ति प्रदान कर रही है, दरअसल उनमें से कई का तो अता-पता ही नहीं है। कई संस्थानों को संबंधित एजेंसी या विभाग से मान्यता ही नहीं मिली है। ऐसे में यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि विभागीय अधिकारी लाखों रुपए किसे बांट रहे हैं? जिन अधिकारियों पर जरूरतमंद छात्रों को छात्रवृत्ति देने का दारोमदार है, उनकी मिलीभगत के बगैर क्या इतने फर्जी संस्थानों को छात्रवृत्तियां जारी हो सकती थीं?

जिस तरह से छात्रवृत्ति वितरण में अंधेरगर्दी चल रही है, उससे साफ है कि भ्रष्ट ताकतों को सरकार में बैठे आला अफसरों का संरक्षण भी मिल रहा है। खातीपुरा स्थित नर्सिग इंस्टीट्यूट की तरह डीबी स्टार टीम, सीतापुरा स्थित विनायक डेंटल कॉलेज को रीको इंडस्ट्रियल एरिया में तलाशने निकली तो उसका समाज कल्याण विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज पते पर अस्तित्व नहीं मिला। यही हाल श्री कृष्णा कॉलेज ऑफ नर्सिग, कोटपूतली के मामले में मिला। मामले में पूछताछ करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क साधने के लिए टीम सोमवार को झालाना स्थित छात्रवृत्ति कार्यालय पर पहुंची तो एक-दो कर्मचारियों के अलावा कोई नहीं मिला।

वहां गार्ड से उपनिदेशक बीपी मीणा से मिलाने के लिए कहा गया तो जवाब मिला कि साहब किसी संगोष्ठी में शामिल होने के लिए गए हैं, शाम को लौटेंगे। उसके बाद टीम ने आगे के दिनों में कई विभागीय अधिकारियों से पूछताछ की। ज्यादातर अधिकारी मुंह तक खोलने को तैयार नहीं हुए। उनका कहना था कि यह कोई नई बात नहीं है। ऊपर वालों को भी सब पता है, उनका हिस्सा भी तो जाता है। कुल मिलाकर पूरे कुएं में भांग घुली नजर आई। इसके अलावा, भ्रष्टाचार से परेशान जिन अधिकारियों न मुंह खोला, ऑफ द रिकॉर्ड विभाग की पूरी पोल पट्टी ही खोल कर रख दी। फिलहाल हम यहां तहकीकात और बातचीत के वही अंश दे रहे हैं, जो रिकॉर्ड हैं।

भले विभाग को चंद लोगों ने बदनाम कर दिया

पीएस मेहरा, आयुक्त, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से सवाल

हमें जानकारी मिली है कि कुछ संस्थानों ने फर्जी दस्तावेज से छात्रवृत्ति उठाई है?
नहीं, ऐसा तो नहीं हो सकता। ऐसा कोई मामला सामने आता तो मुझे भी जानकारी होती।

लेकिन हमारे पास दस्तावेज हैं जो इस बात की चुगली कर रहे हैं कि लाखों रुपए छात्रवृत्ति के उठाए गए हैं?
आप मुझे जानकारी दें, ये तो सरासर फर्जीवाड़ा है। इसकी जांच कर संबंधित अधिकारी-कर्मचारी पर कार्रवाई जरूर होगी।
इससे पहले भी कई प्रकरण सामने आए हैं,उनमें भी तो आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई़
मैंने सभी मामलों की जांच के आदेश कर दिए थे। जांच चल रही है, रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई जरूर की जाएगी। वैसे भी समाज का भला करने वाले विभाग को चंद लोगों ने बदनाम कर रखा है। उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

दो साल पहले तत्कालीन कमिश्नर ने विभाग में भ्रष्टाचार का मामला नजर आने पर थाने में एफआईआर दर्ज कराने के आदेश निकाले थे, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई?
हां..आप ठीक कह रहे हैं। ऐसे आदेश निकाले हैं, लेकिन कोई मामला दर्ज ही नहीं हुआ। इसके मायने ये हंैं कि विभाग की नजर में कोई भ्रष्टाचार नहीं है।

लेकिन मामले तो लगातार सामने आ रहे हैं?
जानकारी करवाता हूं। छात्रवृत्ति मामले में गलत हुआ है तो कार्रवाई जरूर होगी।

विभाग ने रोक दिया
डॉ. शिवराज (पूर्व संचालक) से सवाल

आपके इंस्टीट्यूट के छात्रों के नाम से समाज कल्याण विभाग से लाखों रुपए की छात्रवृत्ति उठाई गई है?
मुझे पता नहीं, ऐसा नहीं हो सकता।

ऐसा ही है, हमारे पास कागजात हैं?
अब पुरानी बातों का क्या फायदा, मैं इंस्टीट्यूट तो बेच चुका हूं।

ठीक है, हम खरीदार से पूछेंगे, मगर छात्रवृत्ति इंस्टीट्यूट बिकने से पहले उठाई गई है?
देखिए हमें कुछ याद नहीं है। कुचामन, नागौर में हमारा एक इंस्टीट्यूट और है, उसमें शैलेंद्र नाम के कर्मचारी ने ऐसी हरकत की थी। जानकारी में आने पर हमने उसकी शिकायत थाने में करने के लिए शिकायत दी थी, लेकिन समाज कल्याण विभाग ने ऐसा करने से रोक दिया था।

हमने हाल ही कॉलेज खरीदा है
रामबाबू शर्मा, निदेशक, मेडिकल एंड इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग से सवाल

क्या आपके कॉलेज को आईएनसी से मान्यता प्राप्त है?
हां..30 सितम्बर 2009 में ही मान्यता मिली है।

लेकिन आपकी कॉलेज के नाम पर तो पिछले दो सालों से स्कॉलरशिप उठाई जा रही है?
ऐसा कैसे हो सकता है। हमने तो ये कॉलेज हाल ही में खरीदा है।

खरीदा है क्या मतलब?
पहले ये कॉलेज कोई और सोसायटी चलाती थी, उसे हमने खरीद लिया। इसके बाद रजिस्ट्रेशन की कवायद शुरू कर दी।

लेकिन कॉलेज छात्रों के नाम दो सत्रों में करीब 15 लाख रुपए की छात्रवृत्ति उठाई गई है, इसके लिए किसको जिम्मेदार माना जाए?
हमने तो छात्रों को स्कॉलरशिप के लिए अभी आवेदन ही किया है। छात्रवृत्ति के लिए समाज कल्याण विभाग में बहुत मशक्कत करनी पड़ती है। यदि किसी को छात्रवृत्ति गलत जारी की गई है तो विभाग के लोगों की ही जिम्मेदारी है।

कॉलेज खरीदा तब जानकारी नहीं थी कि कुछ फर्जीवाड़ा हो रखा है?
नहीं हमें कल ही समाज कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने फोन कर छात्रवृत्तियों के बारे में पूछताछ की तब पता लगा।

मैंने रिकॉर्ड चैक करवा लिए हैं। मेडिकल एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग खातीपुरा, जयपुर व श्री कृष्णा कॉलेज ऑफ नर्सिग, कोटपूतली नाम के किसी इंस्टीट्यूट को उनके यहां से मान्यता नहीं मिली हुई है। - दयाशंकर शर्मा, रजिस्ट्रार, राजस्थान नर्सिग कौंसिल