Sunday, February 27, 2011

भ्रष्टाचार के मैदान में 'वैभवÓ

dinesh gautam, 97722667
पूर्व मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय महासचिव वसुंधरा राजे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले नेताजी हाशिए पर आ सकते है। उसका कारण यह है कि पिछले दो सालों में यह सरकार के कई घोटालें सामने आ चुके है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने भाषणों में भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए कहते तो हैं, लेकिन करने वाला ही कहने लगे तो क्या होगा। यही हाल रहने से भ्रष्टाचार घटने की बजाय बढ़ता दिखाई पड़ रहा है। हाल ही एक ताजा मामला अजमेर का सामने आया है जिसमें मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत का नाम भी आया है। सच्चाई कितनी है इसे बड़े अखबारों ने कमाई की अपनी मजबूरी का हिस्सा मान नहीं छापा। एक दो छुटभैया ने हिमाकत की, लेकिन नंगाड़ों में तूती की आवाज का असर क्या होता सो कुछ नहीं हुआ।
वसुंधरा की ताजपोशी से एकबार फिर सुस्त प्रशासन से तंग आ चुके लोगों की उम्मीद जागी, अंदाज के तौर पर पहला ही वार इसी मुद्दे पर कर अपने तेवर दिखाकर किया। हालांकि राहत किसको कितनी मिल पाएगी इसमें संदेह है, लेकिन विपक्ष जरूर मजबूत हो जाएगा।
गहलोत सरकार एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री पर हमला करने के लिए २२हजार करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार के जिन्न को बाहर निकालने की कोशिश करेंगे। आदत के अनुसार निजी कमेंट्स देकर भी यह कहना कि मैं किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करता। महंगाई पर नए सुर तलाशना जैसे काम अब सरकार करेंगी।
प्रशंसक नहीं, प्रशासनिक पकड़ की बात है
आपको लग रहा है कि मैं वसुंधरा का प्रशंसक हूं, लेकिन ऐसा नहीं है। उनकी सरकार में सबसे पहले उनके खिलाफ खबर भी मैंने ही लगाई थी। मुझे याद है अखबार में एक लेख छपा था कि 'इफ कर ना, बट कर, वसुंधरा कहें जो झट करÓ इससे अंदाजा हो जाता है कि उसकी प्रशासनिक पकड़ कितनी मजबूत थी। कलेक्टर कांफ्रेस में एक कलेक्टर को दौरा पड़ गया था।
आपस में न उलझे भाजपा
राज्य की राजनीति में अचानक हलचल शुरू हो गई। भाजपा महासचिव वसुंधरा राजे को फिर से नेता प्रतिपक्ष का ताज क्या मिला, सत्ता के गलियारों में ही नहीं। आम लोगों में भी एक चमक और माहौल दिखाई दिया। जिंदा होकर भी मुर्दे के समान व्यवहार कर रही बीजेपी को तो ऑक्सीजन मिल गया, लेकिन पार्टी के क्या वे नेता चुप बैठेंगे जो फिर से हाशिए पर धकेल दिए जाएंगे। जब कांग्रेस राज्य में सत्तारूढ हुई तो भाजपा की अंदरूनी कलह चारों तरफ से खुली हुई थी। कांग्रेस के नेताओं ने इसी का फायदा उठाते हुए अपनी सरकार बनाई। एक बार फिर वसुंधरा के आने से ज्यादातर विधायक खुश है, लेकिन जिन्हें पीड़ा होगी कहीं वे विपक्ष का नेतृत्व कर रही नेता के पैर ही काटने की कोशिश में न जुट जाए। भाजपा को फायदे से हमें कोई सरोकार नहीं, लेकिन विपक्ष की कमजोरी से सरकार लोगों पर महंगाई और टेक्स के मनमाने बोझ लगा पाने में सफल हो जाएग्री। जिसे सभी को मिलकर रोकना पड़ेगा, नही तो लोग सामूहिक आत्महत्या करने जैसे कदम उठाने को विवश होंगे।

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