Wednesday, March 10, 2010

मोनो रेल क्या है खेल?

शहर की यातायात सुविधाओं में बेहतरी का सपना दिखाते हुए सरकार ने मोनो रेल चलाने का ढिढोंरा पीटा, दावे किए गए। शुरुआत में लगा कि जैसे सरकार ने प्लानिंग करके योजना को मंजूर किया है। जब इसकी जानकारी की गई तो चौंकाने वाली बात यह थी कि मोनो रेल चलाने की जिम्मेदारी उस मलेशियन कंपनी को दी जा रही है जिसने एक मीटर भी पटरी कहीं नहीं डाली। ऐसे में गुलाबीनगरी में मोनो रेल चलने के मंसूबों पर पानी सा फिरता दिखाई दे रहा है। सरकार ने मलेशियन कंपनी एमरेल इंटरनेशनल एसडीएन बीएचडी कंपनी को प्रोजेक्ट का काम शुरू करने की हामी तो भर दी, लेकिन उसको खुद इस बात का भरोसा नहीं है कि कंपनी काम कर पाएगी। लिहाजा उन्होंने कंपनी को पहले जमीन देने की बजाय डीपीआर बनाने की स्वीकृति दे दी। इस बारे में अफसरों का कहना है कि

चीनी कंपनी देखें तो हो मोनो रेल फाइनल
चेन्नई की कंसलटेंसी गाइडलाइन के एमडी और मलेशियन कंपनी एमरेल के रिप्रजेंटेटिव केबी अशोकन से सवाल
कंपनी का मोनो रेल प्रोजेक्ट कहां-कहां चल रहा है?
कंपनी का मोनो रेल प्रोजेक्ट फिलहाल कहीं नहीं चल रहा।
तो फिर जयपुर में कैसे मोनो रेल चलाएंगे?
दरअसल हमारे पास एक्सपोजर है। जबकि मोनो रेल चाइना कंपनी चीन सीएनआर कोरपोरेशन लिमिटेड चलाएगी। इसलिए हम चला लेंगे।
शहर में कंपनी डीपीआर बना रही है वो क्या कंपलीट हो गई?
हां...करीब पचास फीसदी काम पूरा हो गया है।
तो क्या उम्मीद की जाए कि कब तक शुरू हो जाएगी जयपुर में मोनो?
अभी इसकी गांरटी नहीं दे सकते। दरअसल चाइनीज कंपनी ने तो अभी साइट देखी ही नहीं तो शुरू होने की कैसे जानकारी दे सकते है।
इसका मतलब?
यही की चाइनीज कंपनी साइट और डीपीआर देखेंगी और फैसला करेगी तभी जयपुर में मोनो के शुरू होने के बारे में कुछ कह सकते है।
सीधे कहे तो अभी तो कुछ हुआ ही नहीं है?
नहीं हम डीपीआर बनाकर चीनी कंपनी को यहां का विजिट कराएंगे। उनकी हरी झंडी मिलते ही इस पर काम शुरू हो जाएगा।
मलेशियन कंपनी ने दुनियाभर में कुछ किया ही नहीं तो कैसे कह सकते है जयपुर में मोनो रेल चला देंगे?
दरअसल मलेशियन एम रेल के पास एक्सपोजर है, चीनी कंपनी से मिलकर योजना अमल में लाई जाएगी।
बदलते सुर
नगरीय विकास विभाग के सचिव जीएस संधू से सवाल
मोनो रेल प्रोजेक्ट किस दशा में है?
हमें भी खबरों से ही जानकारी मिल रही है कि कंपनी डीपीआर बनवा रही है।
लेकिन प्रोजेक्ट तो आपका विभाग ही डील कर रहा है?
हां..लेकिन हमने जिम्मेदारी स्वायत्त शासन सचिव को सौंप रखी है वे ही इसकी पूरी जानकारी दे पाएंगे।
हमें जानकारी मिली है कि कंपनी के पास प्रोजेक्ट से रिलेटिड कोई भी एक्सपीरियंस नहीं है उसके वाबजूद सरकार इतनी बडी जिम्मेदारी सौंपने को तैयार दिख रही है?
डीपीआर तो बनने दो फिर देखते है कि क्या हो सकता है।
स्वायत्त शासन विभाग सचिव आर.वेंकटेश्वर
मोनो रेल प्रोजेक्ट कहां तक पहुंचा?
अभी डीपीआर का काम चल रहा है?
डीपीआर का कितना काम पूरा हो चुका है?
दरअसल, प्रोजेक्ट लाने वाले कुछ दिनों पहले आए थे। तब हमने उनको पहले डीपीआर बनाने की बात कही थी। उसके बाद हमारा आपस में कोई सम्पर्क नहीं हो पाया।
हमें जानकारी मिली है कि कंपनी के पास प्रोजेक्ट से रिलेटिड कोई भी एक्सपीरियंस नहीं है उसके वाबजूद सरकार इतनी बडी जिम्मेदारी सौंपने को तैयार दिख रही है?
किसने कहा है कि हम जिम्मेदारी सौंप रहे है। दरअसल हमने तो प्रोजेक्ट से संबंधित डीपीआर बनाने के लिए कहा है। सब कुछ डीपीआर बनाने के बाद तय होगा। डीपीआर से तो हमें ही जानकारियां मिलेगी, सब कुछ सही रहा तो किसी और कंपनी को इस कार्य के लिए बुलाया जा सकता है।
जानकारों का कहना है कि मलेशियन कंपनी के शहर में प्रोजेक्ट लाने के पीछे की कहानी कुछ और है। दरअसल कंपनी यहां मोनो रेल के डिब्बे बनाने के नाम पर बहुत बडी जमीन चाहती थी। सरकार की जमीन देने को लेकर उत्सुकता नजर नहीं आने से कंपनी भी दूसरा रास्ता तलाश रही है। अधिकारी भी इस बात से वाकिफ है कि बगैर कुछ लिए कोई भी कंपनी इतने बडे प्रोजेक्ट को बगैर अनुभव के कैसे हाथ डालेगी। इसके पीछे जरूर मकसद कुछ और तो है।

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