Sunday, March 21, 2010

लापरवाही का खेल, सुरक्षा फेल

सामुदायिक केन्द्र की छत से हवाई अड्डे में मारी जा सकती है सेंध
देश में लगातार हो रही आतंकी घटनाओं के बाद भी जयपुर एयरपोर्ट की सुरक्षा भगवान भरोसे है। जब भी कहीं आतंकी हमला होने सूचना मिलती है तो एयरपोर्ट के प्रवेश द्वार पर जरूर सुरक्षा के कुछ इंतजाम दिखाए जाने की पहल होती है, लेकिन एक जागरूक पाठक ने डीबी स्टार को रास्ते की जानकारी दी जो सुरक्षा के लिहाज से कतई उचित नहीं है। सुरक्षा का दावा करने वाले विमानपत्तन प्राधिकरण के अधिकारी को तो इसकी जानकारी ही नहीं है। जो कैमरे और सुरक्षाबलों तैनात किए है उनकी भी निगाहों से दूर है यह जगह। विमानों के रन-वे में बैकडोर एंट्री की ये सुविधा शहर की जिम्मेदारी संभालने वाली नगर निगम ने ही मुहैया कराई है। डीबी स्टार टीम ने मौके पर जाकर देखा कि आतंकी तत्त्वों के लिए घटना को अंजाम देना यहां से कितना आसान है।
नागरिक नगर के साथ ही शंाति नगर बसी हुई है। ज्यादातर मकान एयरपोर्ट की दीवार से कुछ ही दूरी पर बने है, जमीन को कब्जाने की नीयत से सभी मकान मालिकों ने एयरपोट्र की दीवार तक अपना अधिकार जमा रखा है। दीवार के सहारे कुछ जगहों पर पड़े मलबे से अंदाजा हो जाता है कि कभी कार्रवाई जरूर हुई होगी। एक जगह एयारपोर्ट से सटी गुलाबी रंग में बनी इमारत बाहर लिखा था सामुदायिक केन्द्र। दरवाजे खुले पड़े थे, सीढिय़ों से इमारत के छत पर जाने की सुविधा थी। न कोई रोकने वाला था और न कोई टोकने वाले। आसानी से छत पर गए छत से एक छलांग दूरी पर एयरपोर्ट। शंाति नगर से पिछले कई समय से मकानों को हटाने की कवायद हो रही थी। एयरपोर्ट अथॉरिटी का कहना था कि सुरक्षा के लिहाज से मकानों को हटाना ही होगा, उधर नगर निगम ने सुरक्षा दरकिनार कर करीब तीन साल पहले एक सामुदायिक केन्द्र का निर्माण कर दिया। नगर निगम के एक जिम्मेदार अधिकारी का कहना है कि नगर निगम तो वहां ये सुविधा नहीं बनाना चाहता था, लेकिन स्थानीय विधायक कालीचरण सराफ ने अपने कोटे से करीब दस लाख रुपए देकर एयरपोर्ट की दीवार से सटी करीब पांच सौ वर्ग गज जमीन पर सामुदायिक भवन बनाने को मंजूरी दी थी। इस भवन निर्माण के दौरान कांग्रेस की तत्कालीन पार्षद डॉ.अर्चना शर्मा ने विरोध जताया था। पार्षद का विरोध था कि थोड़ी बहुत जमीन पर बनने वाले इस कम्यूनिटी हॉल का कोई उपयोग नहीं हो सकेगा। उसके बावजूद नगर निगम ने सुरक्षा को भेदने वाली इमारत का निर्माण कर दिया।
जिम्मेदार सोते रहे
उधर, विमानपत्तन प्राधिकरण की ओर से सुरक्षा को लेकर सरकार में कई पत्राचार होने के बावजूद इस मसले पर प्राधिकरण ने कोई आपत्ति नहीं जताई। चैन की नींद सोने वाले प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारियों ने समय रहते इस इमारत को बनने से नहीं रोका। यहां तक की सुरक्षा का दावा करने वाले एयरपोर्ट के निदेशक तो एयरपोर्ट से सटी ऐसी किसी भी इमारत के बने होने से अनजान है।
एयरपोर्ट निदेशक अनुज अग्रवाल से सवाल
एयरपोर्ट की दीवार से सटे इमारतों से सुरक्षा को खतरा नहीं है?
नहीं...एयरपोर्ट की चारदीवारी काफी उंची है। इससे मकानों को कोई खतरा नहीं है।
लेकिन नगर निगम के बनाए गए कम्यूनिटी हॉल की छत तो एयरपोर्ट की दीवार के बराबर है?
इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है।
सुरक्षा को लेकर पिछले तीन साल में कई दफा काफी हो हल्ला मचा और आपको इस बारे में कोई जानकारी नहीं है?
फिलहाल आऊट ऑफ स्टेशन हूं। इस बारे में कल बात करेंगे।
...एयरपोर्ट की दीवार की ऊंचाई कितनी होगी और सुरक्षा को लेकर क्या इंतजाम है?
एयरपोर्ट की दीवार १० फीट ऊंची है और बाकी जानकारी कल ही दे सकता हूं।
ऐसा कहकर उन्होंने फोन काट दिया
नगर निगम के मुख्य अभियंता डीएल भाखर से सवाल
सामुदायिक केन्द्र एयरपोर्ट की दीवार से सटाकर क्यों बनाया गया?
इसकी मुझे जानकारी नहीं है। मेरे नगर निगम में आने से पहले ये बन गया था।
लेकिेन क्या ये पैसों का दुरूपयोग नहीं है?
ये तो सुरक्षा के लिहाज से भी सही नहीं है। इसकी पूरी जानकारी संबंधित जोन एक्सईएन ही बता सकते है।

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