Monday, March 22, 2010

महल ले लो या पहाड़

एके कोठारी - एडिशनल डाइरेक्टर माइनिंग जयपुर जोन से सवाल
अवैध खनन को रोकने के लिए हाल ही में सरकार ने विभागीय बैठक के बाद घोषणा की। घोषणा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सेटेलाइट से खनन पर नजर रखने और रोकने के लिए टॉस्क फोर्स बनाने की जानकारी भी दी। विभागीय सचिव गोविन्द शर्मा ने बताया कि योजना में करीब सात करोड़ रुपए खर्च होंगे। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि करोड़ों रुपए खर्चने के बाद भी क्या अवैध खनन रुक पाएगा। जब तक महीने की पगार पाने वाले लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेंगे तब तक आंखों के सामने होने वाले इस अवैध खनन को सेटेलाइट और टॉस्क फोर्स तो क्या कोई भी नहीं रोक पाएगा।
सरकार ने अवैध खनन को रोकने के लिए नई योजना की घोषणा की है उससे आपको क्या फायदा होगा?
इससे हमें तो कोई फायदा नहीं होगा। हां ...हमें भी जानकारी मिल जाएगी कि कहां क्या चल रहा है।
फिर इस योजना की जरूरत क्यों पड़ी?
दरअसल मामला अलवर से जुड़ा है।
केवल अलवर के लिए ही?
हां...अरावली में अवैध खनन की लगातार शिकायत बढ़ रही थी। मामला वन विभाग से भी जुड़ा हुआ है।
इससे क्या फायदा होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने अरावली का स्टेटस जानने के लिए सरकार से जानकारी देने व समझाने के लिए कहा था। चूंकि अवैध खनन के कारण मौके पर तेजी से बदलाव हो रहा है इसलिए सरकार ने सेटेलाइट से फोटोज लाने के लिए कहा था।
इसको कौन संभालेगा?
माइनिंग की तो बस की बात नहीं है। जानकारी में आया कि साइंस एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंंट को यह जिम्मेदारी सोंपी है।
सेटेलाइट से अवैध खनन पर कैसे पार पाएंगे?
इससे कोई अवैध खनन थोड़े ही रुकेगा। ये तो सुप्रीम कोर्ट को अरावली का स्टेटस दिखाने और सरकार की आगे की प्लानिंग के लिए है।
जयपुर में क्या अवैध खनन नहीं हो रहा?
ज्यादातर माइंस तो हमने ही ठेके पर या लीज पर दे रखी है। अवैध खनन की मुझे जानकारी नहीं है।
सेटेलाइट से आपको भी तो सुविधा हो जाएगी?
काहे की सुविधा? सेटेलाइट से तो तीन महीने पुराने पिक्चर आएंगे। उन्हें भी बैंगलोर से खरीदना पड़ेगा।
फिर टॉस्क फोर्स भी तो बन रही है?
उसका भी ज्यादातर इलाका अलवर ही होगा, हमें तो पुलिस के भरोसे ही काम करना पड़ता दिख रहा है।
लेकिन आपकी भी तो विजिलेंस विंग है?
काहे की विंग करीब-करीब सारे पद तो खाली पड़े है।
उनको भरने के लिए आपने अधिकारियों को नहीं लिखा?
ये जानकारी तो सबको है। जब तक सरकार नहीं चाहे कुछ नहीं हो सकता।
आपने ज्यादातर माइंस लीज पर दे रखी है, फिर तो पहाड़ किताबों में ही रह जाएंगे?
इस बारे में तो सभी एक पक्ष से सोचना पड़ेगा। क्योंकि माइनिंग भी पब्लिक की जरूरतों के पीछे ही हो रही है।
लेकिन आपकी जिम्मेदारी नहीं है इनको बचाना?
या तो महल ही बना लो या पहाड़ ही सहेज लो। दोनों काम एक साथ नहीं हो सकते।
लेकिन जो सामने ही अवैध खनन हो रहे है उनको भी क्या सैटेलाइट से ही रोकोगे?
नहीं ऐसा बहुत कम हो रहा होगा, इस बारे में इलाकाई इंजीनियर्स ही कुछ बता सकते है।
आप लोगों की जिम्मेदारी नहीं बनती की अवैध खनन को रोकें?
हमारे पास इसको रोकथाम वाली विंग की पोस्टें खाली पड़ी है।
तो क्या देखते रहोगे?
नहीं तो ऐसी जो हो सकता है कार्रवाई करेंगे। अब तो सरकार इसके लिए टॉस्क फोर्स बना रही है।

No comments:

Post a Comment