Monday, March 22, 2010

पानी हमारा, बिल जलदाय का

पिछले चार साल में महकमे ने कराया करीब दस लाख रुपए का बिल
गर्मी की दस्तक के साथ ही प्रदेश में पानी की किल्लत बढ़ती जा रही है। राजधानी में जहां कई इलाकों में बिल देने के बाद भी पीने लायक पानी मयस्सर नहीं हो रहा वहीं महकमे के जिम्मेदार अधिकारियों की मेहरबानी से विद्याधरनगर स्थित सहयोग अपार्टमेंट में रहने वाले परिवार मुफ्त में पानी का उपयोग कर रहे है। लापरवाही का आलम यह है कि करीब साढ़े तीन सौ परिवारों को यह सुविधा पिछले चार साल से मुहैया है।
विद्याधरनगर में राजस्थान को-ऑपरेटिव हाउसिंग विभाग ने सहयोग अपार्टमेंट का निर्माण किया था। कर्मचारियों के लिए
कार्मिक विभाग ने इसे खरीदा और कर्मचारियों को आवंटन किया। इस अपार्टमेट में रहने वाले ज्यादातर सरकारी कर्मचारी होने के नाते मुफ्त की सेवा से किनारा करना चाहते है, लेकिन जलदाय महकमा ही इस मामले में पिछड़ रहा है। यहां तक की अपार्टमेंट के एक टावर में रहने वाले लोगों ने तो २०० रुपए प्रतिमाह सोसायटी के लोगों को जमा भी करवा रहे है ताकि जब कभी जलदाय विभाग एक मुश्त रिकवरी करतें तो देने में परेशानी नहीं आए। इसके बावजूद मुख्य सचिवप तक मामला पहुंच गया लेकिन न तो जलदाय महकमा ही राहत पा सका और न ही रहने वाले कर्मचारी। अपार्टमेंट के बोरिंग को खराब होने के बाद यहीं रहने वाले जलदाय महकमे के अधिकारियों ने २००६ में नया बोरिंग खोद डाला। अपार्टमेंट में बोरिंग होने से जलदाय विभाग ने इनको कनेक्शन नहीं माना, लिहाजा पेयजल लेने वाले लोगों से कोई वसूली नहीं की गई। चार सालों में जलदाय महकमे ने दस लाख से ज्यादा का बिजली बिल का भुगतान भी किया है और कर रहा है। दिनरात चलने वाले इस बोरिंग का विद्युत खर्च करीब २० हजार रुपए महीना आता है। यहां जलदाय महकमे के एईएन अजयसिंह, जेईएन श्योदानसिंह, टाइमकीपर भुवनेश पारीक भी रहते है।
तत्कालीन एईएन अजयसिंह से सवाल
कितने परिवार अपार्टमेंट में रह रहे है?
अपार्टमेंट में दोनों टावरों को मिलाकर साढ़े तीन सौ फ्लैट है।
यहां चार साल से मुफ्त का पानी वितरित किया जा रहा है?
हां...बिल्कुल महकमे में इस बात की जानकारी सभी को है।
लेकिन आप तो विभागीय अधिकारी है और जब कनेक्शन हुआ तो संबंधित जोन में ही तैनात थे?
मैं तैनात था। दरअसल ये योजना सरकारी कर्मचारियों के लिए कार्मिक विभाग ने पर्चेज की थी। तत्कालीन मुख्य सचिव ने अपार्टमेंट में रहने वालों को पानी मुहैया कराने की जिम्मेदारी तय की थी, मैंने वहां बोरिंग करवा दिया।
लेकिन मुख्य सचिव ने बिलों के पैसे लेने के लिए थोड़े ही मना किया था?
नहीं दरअसल हुआ क्या कि जब सोसायटी के लोगों ने कनेक्शन की फाइल लगाई तो लेवी के चार्ज में करीब साढ़े चार लाख रुपए लगा दिए। इतनी रकम देखकर सोसायटी वाले बदल गए। इस बात की जानकारी मुख्य सचिव को मिली तो उन्होंने असिस्टेंट सेक्रेट्री जीएडी और राजस्थान को-ऑपरेटिव हाउसिंग के एमडी को कमेटी में शामिल कर इसका हल निकालने की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन आज दिन तक कुछ नहीं हुआ।
अपार्टमेंट निवासी मुकेश मुदगल
आप लोग सरकारी पानी मुफ्त में पी रहे है?
बिल्कुल ...जलदाय महकमे की मेहरबानी है।
आप लोगों को नहीं लगता कि आप गलत कर रहे है?
क्या करे? कई दफा हमने पीएचईडी को इस बारे में बताया भी लेकिन उन्होंने भी अपना हाथ खड़ा कर दिया। ऐसे में हम भी परेशान है।
मुफ्त में पानी मिल रहा है, आपको क्या परेशानी?
हम तो सरकारी कर्मचारी है। कभी विभाग से एरियर आ गया तो परेशानी हो जाएगी इसलिए परेशान है।
तो आपने अधिकारियों से क्यों नहीं संपर्क किया?
हमने तो जलदाय विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया था तो उन्होंने जवाब दिया कि हम अपार्टमंट में मेंटिनेंस नहीं कर सकते इसलिए पैसा भी नहीं वसूल सकते है। उसके बाद हम प्रिंसिपल सेक्रेट्री से मिले थे उन्होंने सात दिन में अधीक्षण अभियंता को सात दिन में रिपोर्ट देने के लिए निर्देश दिए थे, लेकिन लीपापोती के अलावा कुछ नहीं हुआ।
अधीक्षण अभियंता बी.कृष्णन से सवाल
सहयोग अपार्टमेंट में विभाग बिल की राशि क्यों नहीं वसूल रहा?
इस मसले पर जानकारी मुख्य सचिव स्तर पर है।
विभाग क्यों नहीं कार्रवाई कर रहा है?
मुख्य सचिव ने इस मसले पर वस्तुस्थिति की रिपोर्ट मांगी थी। हमने रिपोर्ट भेज रखी है।
कुछ कार्रवाई के निर्देश मिले?
नहीं अभी तो कोई निर्देश नहीं मिले। जैसा आदेश होगा कार्रवाई कर देंगे।

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